शामिल था ये सितम भी किसी के निसाब में तितली मिली हनूत पुरानी किताब में देखूँगा किस तरह से किसी को अज़ाब में सब के गुनाह डाल दे मेरे हिसाब में फिर बेवफ़ा को बहर-ए-मोहब्बत समझ लिया फिर दिल की नाव डूब गई है सराब में पहले गुलाब उस में दिखाई दिया मुझे अब वो मुझे दिखाई दिया है गुलाब में वो रंग-ए-आतिशीं वो दहकता हुआ शबाब चेहरे ने जैसे आग लगा दी नक़ाब में बारिश ने अपना अक्स कहीं देखना न हो क्यूँ आइने उभरने लगे हैं हबाब में गर्दिश की तेज़ियों ने उसे नूर कर दिया मिट्टी चमक रही है यही आफ़्ताब में उस संग-दिल को मैं ने पुकारा तो था 'अदीम' अपनी सदा ही लौट कर आई जवाब में