शमीम-ए-ज़ुल्फ़-ए-यार आए न आए मिरे दिल को क़रार आए न आए अभी आया है होश ऐ याद-ए-जानाँ न तड़पा बार बार आए न आए चराग़-ए-ज़िंदगानी बुझ रहा है वो जान-ए-इंतिज़ार आए न आए किया जो तुम ने अपने दिल से पूछो हमारा ए'तिबार आए न आए निगाह-ए-अहल-ए-गुलशन कह रही है ख़िज़ाँ जाए बहार आए न आए बढ़ेगा कारवाँ मंज़िल-ब-मंज़िल ग़ुबार-ए-रह-गुज़र आए न आए