शाम-ओ-सहर यूँ चुपके चुपके रोना क्या किसी की ख़ातिर इतना पागल होना क्या होश गँवा देते हैं तुम से मिल कर लोग कर देते हो तुम भी जादू-टोना क्या प्यार वो शय है जिस का कोई मोल नहीं उस के आगे चाँदी क्या है सोना क्या जब जी चाहा तुम ने उस को तोड़ दिया जब ही बोलो दिल था मेरा खिलौना क्या 'फ़ैज़' यतीम-ओ-बेकस से ये पूछोगे माँ के आँचल का होता है कोना क्या