शीशे शीशे को पैवस्त-ए-जाँ मत करो चंद तिनकों को इतना गराँ मत करो रौशनी जिस जगह झाँकती भी नहीं उस अँधेरे को तुम आसमाँ मत करो एक कमरे में रहना है सब को यहाँ गीले पत्ते जला कर धुआँ मत करो दुश्मनी तो हवाओं में मौजूद है कोई ज़हमत पए दोस्ताँ मत करो क्या पता किस के दामन तले आग है सब के चेहरों पे अपना गुमाँ मत करो