शोर साहिल का समुंदर में न था मैं ने देखा मिरे अंदर में न था मेरे दुश्मन सब मिरे हम-राह थे एक भी दुश्मन के लश्कर में न था मैं यूँही एक एक घर झाँका किया वो तो मेरे साथ था घर में न था उस की सूरत ही में ये तासीर थी प्यार का सौदा मिरे सर में न था अपने हाथों मर गया होता मगर ये मज़ा मेरे मुक़द्दर में न था