शुक्र है आप आ गए आज का दिन तो टल गया थोड़ी सी बात हो गई थोड़ा सा दिल बहल गया चश्म-ब-चश्म गुफ़्तुगू शहर-ब-शहर कू-ब-कू सीना-ब-सीना राज़-ए-दिल दूर तलक निकल गया शो'ला नुमू-पज़ीर था उस की रिदा-ए-सर्द में शोख़ हवा थी बे-ख़बर बर्फ़ से हाथ जल गया शोर है बे-दिली का शोर ध्यान से मेरी बात सुन तेरा ख़याल-ए-दिल-सिताँ दिल से मिरे निकल गया साए झुलस के रह गए वक़्त की तेज़ धूप में मेरा भी रंग उड़ गया तेरा भी रूप ढल गया वैसे तो कुछ नहीं हुआ देख के उस की इक झलक पाँव से खिंच गई ज़मीं हाथ से दिल फिसल गया चारागरों के दरमियाँ उस की कमी रही मगर शाम-ए-फ़िराक़-ए-यार का याद से काम चल गया जादू तिरी निगाह का आज न मुझ पे चल सका आज तिरा ख़याल भी कैसे कहूँ कि खल गया