सितम है तेरे आशिक़ के लिए बीमार हो जाना बड़ी आफ़त है दल के हाथ से नाचार हो जाना बदल जाना निगाहों का तो देखा पर नहीं देखा दिल-ए-आशिक़ से उस का तीर बन कर पार हो जाना नसीहत से वो बाज़ आता नहीं तुम बाज़ आओगे पहुँचना सामने नासेह के जब सरशार हो जाना किया है अश्क-ए-हसरत तू ने रुस्वा मुझ को महफ़िल में कहा किस ने कि यूँ मेरे गले का हार हो जाना अकेले में तसव्वुर ख़ूब करना उस सितम-गर का लहद में ख़्वाब-ए-ग़फ़लत से अगर बेदार हो जाना दिल-ए-पुर-ग़म रक़ीब रू-सियह देखे नहीं तुझ को गली में उस की जा कर साया-ए-दीवार हो जाना नहीं फ़ुर्क़त गवारा ताइर-ए-दिल तुम को दिलबर के पहुँचते ही असीर-ए-गेसू-ए-ख़म-दार हो जाना ख़ुदा हाफ़िज़ है अपना देखिए कैसी गुज़रती है बड़ी मुश्किल है राह-ए-इश्क़ का दुश्वार हो जाना क़दम-बोसी मयस्सर हो किसी सूरत से उस बुत की 'जमीला' बा'द-ए-मुर्दन ख़ाक-ए-कू-ए-यार हो जाना