सितम-गर के सितम पर नौहा-ख़्वानी कर नहीं सकते है ये इक कारोबार-ए-राएगानी कर नहीं सकते ज़रा ये वलवले थामो कि मंज़िल आने वाली है अभी हम रास्तों से बद-ज़बानी कर नहीं सकते हमेशा अपना मक़्सद भूल जाने वाले ये किरदार मुकम्मल इस तरह कोई कहानी कर नहीं सकते हसीं हो बा-वफ़ा हो रस्म-ए-उल्फ़त भी समझते हो कमी बस ये है तुम पत्थर को पानी कर नहीं सकते मदद क्यों माँगते हो हम से तुम हक़ की तरह माँगो मोहब्बत कर रहे हैं मेहरबानी कर नहीं सकते ये पंछी बे-ज़बाँ हैं इस लिए आज़ाद उड़ते हैं ये अपने मालिकों की ख़ुश-बयानी कर नहीं सकते पलट कर आ रहे हैं फिर से ख़ुद की दस्तरस में हम ये दुनिया वाले अपनी मेज़बानी कर नहीं सकते सिपाही चाहते थे दुश्मनों से जंग हो जाए सभी ने बादशाह की बात मानी कर नहीं सकते