सितारे का राज़ रख लिया मेहमान मैं ने इक उजले ख़्वाब और आँख के दरमियान मैं ने चढ़ा है जब चाँद आसमाँ पर तो बोझ उतरा सुना दी हर सोने वाले को दास्तान मैं ने तमाम तेशा-ब-दस्त हैरत में गुम हुए हैं चराग़ से काट दी हवा की चटान मैं ने मैं धूप में क्यूँ किसी का एहसानमंद होता ख़ुद अपने साए को कर लिया साएबान मैं ने 'जमाल' हर शहर से है प्यारा वो शहर मुझ को जहाँ से देखा था पहली बार आसमान मैं ने