सोच कर देखिए क्या ख़ूब नज़ारा होगा उस ने जब रह के मेरा नाम पुकारा होगा हम ने सोचा था कि अब ग़म से किनारा होगा पर कहाँ थी ये ख़बर इश्क़ दोबारा होगा क्या कहें कब से ये उम्मीद लिए बैठे हैं उस की जानिब से कभी कोई इशारा होगा तुझ को देखूँ तो कोई और नज़र आता है तू ने उस शख़्स को दिन रात गुज़ारा होगा शहर में मुझ सा कोई और भी दीवाना है हौसला हिज्र में वो शख़्स भी हारा होगा किस तरह उस को बसाएँगे ज़रा से दिल में सोचते रहते हैं जब कोई हमारा होगा