सोचना है तो फिर खरी सोचे दिल कोई बात न बुरी सोचे भीक दे कर न जाने क्या लेंगे इक भिकारन डरी डरी सोचे क्यूँ गँवाया था रास्ते में उसे आ के मंज़िल पे रहबरी सोचे ठहरना होगा क्या उसी घर में आँख में नींद की परी सोचे मैं वफ़ा के सिवा न सोचूँ कुछ वो जो सोचे सितमगरी सोचे