सोई हसरत जगा गया कोई ख़्वाब मुझ को दिखा गया कोई चाँद भी अब नहीं रहा दिलकश किस क़दर दिल लुभा गया कोई बा'द मुद्दत के आँख यूँ रोई मुझ को दरिया बना गया कोई आज सीखी है दोस्ती मैं ने जान मुझ पर लुटा गया कोई वो समझते थे मुझ को ला-सानी आइना फिर दिखा गया कोई उस ने पूछा था मेरी क़ीमत को दाम उस का लगा गया कोई आज 'शमशेर' फिर परेशाँ है दर से भूका चला गया कोई