सोज़-ओ-गुदाज़-ओ-जज़्ब-ओ-असर कौन ले गया हम से मता-ए-दर्द-ए-जिगर कौन ले गया क्या हो गया है गर्दिश-ए-दौराँ तू ही बता हुस्न-ओ-जमाल-ए-शाम-ओ-सहर कौन ले गया शोरीदगी-ए-इश्क़ की लज़्ज़त कहाँ गई सौदा था जिस में तेरा वो सर कौन ले गया मंज़िल की सम्त बढ़ते नहीं किस लिए क़दम ऐ दिल मताअ'-ए-अज़्म-ए-सफ़र कौन ले गया दिन में हरीम-ए-नाज़ के जल्वे थे सब निहाँ शब में रिदा-ए-नज्म-ओ-क़मर कौन ले गया चर्चे थे इल्म-ओ-फ़ज़्ल के दुनिया-जहान में गंजीना-हा-ए-इल्म-ओ-हुनर कौन ले गया जिबरील के भी जलते हैं पर जिस जगह 'हबाब' उस जा पे ख़ाक-ए-पा-ए-बशर कौन ले गया