सोख़्ता कश्ती का मलबा मैं मिरा दिल और शाम ग़म-ज़दा उतरे हुए दरिया का साहिल और शाम रात के इक पेश-रस तारे की धड़कन तेज़ तेज़ आँख में सहमे हुए ख़्वाबों की झिलमिल और शाम ख़स्तगी से चूर पाँव हसरत-ए-वामांदगी कोहर में डूबी हुई मौहूम मंज़िल और शाम आशियाँ में मुंतज़िर बच्चों का कर्ब-अफ़ज़ा ख़याल रिश्ता बरपा ताएरों का रक़्स-ए-बिस्मिल और शाम मैं ये काग़ज़ और अश्क-आलूद शेरों का नुज़ूल एक वादी एक चश्मे की तरल-रिल और शाम