सुख़न के आइनों को पाश पाश करते रहे हम अपने लफ़्ज़ों में मा'नी तलाश करते रहे लगावटों से रक़ीबों ने जब भी बहलाया मोहब्बतों के सभी राज़ फ़ाश करते रहे बचा था कुछ जो रगों में लहू तमन्ना का उसी को बेच के हासिल मआश करते रहे शिकस्त-ए-रंग से ख़ुश्बू भी रेज़ा रेज़ा हुई चमन में हम यही रेज़े तलाश करते रहे अना की राख है लिपटी हुई चट्टानों से ये कौन लोग यहाँ बूद-ओ-बाश करते रहे बिछड़ गए थे सर-ए-शाम ही जो हम से 'करम' हम उन सितारों को शब-भर तलाश करते रहे