सुकूँ है हमनवा-ए-इज़्तिराब आहिस्ता आहिस्ता मोहब्बत हो रही है कामयाब आहिस्ता आहिस्ता अजब आलम है आग़ाज़-ए-सुरूर-ए-इश्क़ का आलम उठे जैसे उफ़ुक़ से माहताब आहिस्ता आहिस्ता सरिश्क-ए-ग़म कभी शम-ए-जुदाई को बुझा देंगे यही तारे बनेंगे आफ़्ताब आहिस्ता आहिस्ता ख़राब-ए-नर्गिस-ए-मस्ताना आख़िर हो गया ज़ाहिद रसा होती है तासीर-ए-शराब आहिस्ता आहिस्ता नशात-ए-आरज़ू ख़्वाब-ए-तमन्ना दर्द-ए-महरूमी मोहब्बत ने उठाए सब हिजाब आहिस्ता आहिस्ता ब-हर-उनवाँ मुसलसल छेड़ है अब उन के जल्वों से बहक निकली निगाह-ए-बारयाब आहिस्ता आहिस्ता 'रविश' राज़-ए-मोहब्बत आज भी है राज़-ए-ला-यनहल ग़लत साबित हुए सारे जवाब आहिस्ता आहिस्ता