सुकूत तोड़ेगा आँखों को आबजू करेगा जो कल अदू ने किया था वो आज तू करेगा मैं हाथ रखता हूँ सर पर सदा यतीमों के यही अमल मुझे दुनिया में सुरख़-रू करेगा ख़ुद अपने हाथ से अपना वजूद चाक किया यही उम्मीद कि तू आएगा रफ़ू करेगा तवील अर्से के बा'द आज ये घड़ी आई कि तेरा इश्क़ मिरे दिल से गुफ़्तुगू करेगा किसी के हक़ में दुआ कर के देखिए साहब फ़रिश्ता आप की सोहबत की आरज़ू करेगा मैं उस निगाह का मेहवर नहीं हुआ अब तक वो मुझ को सूरत-ए-ख़ाशाक कू-ब-कू करेगा तिरी हथेली को दुल्हन कोई बना न सका ये काम देखना अब के मिरा लहू करेगा किसी का हिज्र मुअस्सर है इस क़दर 'आफ़ाक़' कि चाँद बाम पे आने की जुस्तुजू करेगा