सुनें तो आप क़नाअत के ग़ुल मचाने को By Ghazal << ज़मानों के ख़राबों में उत... सुख़न राज़-ए-नशात-ओ-ग़म क... >> सुनें तो आप क़नाअत के ग़ुल मचाने को वो कह रही है न छोड़ो ग़रीब-ख़ाने को तुम्हारी हिर्स बदल कर तुम्हें करेगी हलाक हमारा सब्र बदल देगा इस ज़माने को Share on: