सुनो यार इस की घुटन कुछ नहीं है किसी दर्द की अब चुभन कुछ नहीं है खिलौने हैं मिट्टी के हम सब यहाँ पर हक़ीक़त यही है बदन कुछ नहीं है ये माना कि पैकर बहुत कुछ है लेकिन बिना रूह ये पैरहन कुछ नहीं है लगी आग ख़्वाबों में इतनी कि समझो ये आँखों की मेरे जलन कुछ नहीं है मैं ख़ुद मुस्तक़िल हूँ सफ़र में सो मुझ को ये लगने लगा है थकन कुछ नहीं है बिना साथ तेरे सभी कुछ है सूना ये दुनिया जहाँ अंजुमन कुछ नहीं है नुमाइश है सब 'मीत' मेरे ग़मों की ग़ज़ल कुछ नहीं है ये फ़न कुछ नहीं है