सूरज की तेज़ धूप का इम्काँ तलाश कर जलती ज़मीं पे ज़ीस्त का सामाँ तलाश कर शायद कि तेरी रूह को आराम मिल सके आबादियों को छोड़ बयाबाँ तलाश कर ये कह कि उस ने धूप में दम तोड़ ही दिया लाशों के इस हुजूम में इंसाँ तलाश कर मेरी तरह ज़माने में कुछ और भी तो हैं उन को भी ऐ कशाकश-ए-दौराँ तलाश कर एहसास की जवान ख़राशों को भूल कर बेचैन अपनी रूह का दरमाँ तलाश कर ख़ुद पहले आइने के मुक़ाबिल खड़ा तो हो फिर बाद में तू औरों के इस्याँ तलाश कर चुटकी से नोच डाल ये पेशानियों के फूल झूटे नमाज़ियों में मुसलमाँ तलाश कर