ता हश्र रहे ये दाग़ दिल का या-रब न बुझे चराग़ दिल का हम से भी तुनक-मिज़ाज है ये पाते ही नहीं दिमाग़ दिल का याँ आतिश-ए-इश्क़ से शब ओ रोज़ दहके है पड़ा अयाग़ दिल का उस रश्क-ए-चमन की याद में है शादाब हमेशा बाग़ दिल का जीने का मज़ा उसी को है बस जिस शख़्स को हो फ़राग़ दिल का है बादा-ए-ग़म से तेरे दिन रात लबरेज़ यहाँ अयाग़ दिल का मालूम नहीं किसी को 'रंगीं' दे कौन हमें सुराग़ दिल का