यार से अब के गर मिलूँ 'ताबाँ' तो फिर उस से जुदा न हूँ 'ताबाँ' या भरे अब के उस से दिल मेरा इश्क़ का नाम फिर न लूँ 'ताबाँ' मुझ से बीमार है मिरा ज़ालिम ये सितम किस तरह सहूँ 'ताबाँ' आज आया है यार घर मेरे ये ख़ुशी किस से मैं कहूँ 'ताबाँ' मैं तो बेज़ार उस से हूँ लेकिन दिल के हाथों से क्या करूँ 'ताबाँ' वो तो सुनता नहीं किसी की बात उस से मैं हाल क्या कहूँ 'ताबाँ' ब'अद मुद्दत के माह-रू आया क्यूँ न उस के गले लगूँ 'ताबाँ'