तड़पते हैं ग़म-ए-फ़ुर्क़त में तड़पाया नहीं करते मोहब्बत करने वाले ग़म से घबराया नहीं करते चले आओ मोहब्बत में तकल्लुफ़ क्या ज़रूरी है तुम अपने हो तो फिर अपनों से शरमाया नहीं करते मोहब्बत में मताअ'-ए-जान-ओ-दिल है ऐ मिरे हमदम जो जान-ए-ज़िंदगी हो उस से कतराया नहीं करते ये क़स्में और वा'दे प्यार उल्फ़त के निभाएँगे यक़ीनन हम कभी झूटी क़सम खाया नहीं करते 'सलीम' अपना तो शेवा है मोहब्बत करने वालों को गले बढ़ कर लगा लेते हैं ठुकराया नहीं करते