तफ़ज़्जुलात नहीं लुत्फ़ की निगाह नहीं मुआमला अभी मुतलक़ वो रू-ब-राह नहीं ग़लत है आह कि है दिल को दिल से राह नहीं कि तेरी चाह मुझे तुझ को मेरी चाह नहीं ग़ुलाम हम तो हैं ऐसे मिज़ाज वालों के किसी के साथ किसी ढब की जिन को राह नहीं हमारी चोरी जो साबित हुई दलील भी कुछ मुक़िर नहीं कोई शाहिद नहीं गवाह नहीं तवाज़ो आप की हम क्या करें भला साहिब ब-क़ौल शख़्से इस अपने जिगर में आह नहीं रुखाइयाँ जो यही हैं तो इस तरह अपना नहीं नहीं नहीं हरगिज़ नहीं निबाह नहीं हरम से दैर में याँ आब-ओ-दाना ले आया ब-रब्ब-ए-क'अबा मिरा इस में कुछ गुनाह नहीं न कुछ जिहत न सबब क़ाह-क़ाह हँसते हो तुम्हारी ख़ुश मुझे आती ये क़ाह-क़ाह नहीं कहूँ ब-क़ैद-ए-क़सम ला-इलाहा इल-लल्लाह कि ताब-ए-हिज्र बस अब मुझ में ऐ इलाह नहीं