तही-उमीद मुझे रोकना है ख़ू किस की ब-ईं-सदा-ए-क़दम है निदा-ए-हू किस की ये कौन तेरे सिवा कर सका उदास मुझे तिरे ख़याल ने छेड़ी थी गुफ़्तुगू किस की मैं मुतमइन हूँ इसी ख़्वाब ख़्वाब सहरा में उड़ा रहा हूँ मगर ख़ाक-ए-आरज़ू किस की कोई परिंद उड़ा पीपलों के झुरमुट से बिखेरता गया चीख़ें चहार-सू किस की हद-ए-निगाह तलक रात का ख़ला है 'अर्श' कोई निगाह करे भी तो जुस्तुजू किस की