तकल्लुम जो कोई करता है फ़ानी हमारी और तुम्हारी है कहानी जुनूँ में याद है इक बैत-ए-अबरू कहाँ है अब दिमाग़-ए-शेर-ख़्वानी मआल-ए-आशिक़ ओ माशूक़ है एक सुना है शम-ए-सोज़ाँ की ज़बानी निशाँ हम बे-निशानों का न पाया सबा ने मुद्दतों तक ख़ाक छानी वो आशिक़ हूँ न आए नींद मुझ को सुनूँ जब तक न यूसुफ़ की कहानी नहीं बचता है बीमार-ए-मोहब्बत सुना है हम ने 'गोया' की ज़बानी