तकलीफ़ मिट गई मगर एहसास रह गया ख़ुश हूँ कि कुछ न कुछ तो मिरे पास रह गया पल-भर में उस की शक्ल न आई अगर नज़र यक-दम उलझ के रिश्ता-ए-अन्फ़ास रह गया फोटो में दिल की चोट न तब्दील हो सकी नक़लें उतार उतार के अक्कास रह गया वो झूटे मोतियों की चमक पर फिसल गई मैं हाथ में लिए हुए अल्मास रह गया इक हम-सफ़र को खो के ये हालत हुई 'अदम' जंगल में जिस तरह कोई बे-आस रह गया