तल्ख़ी-ए-मय में ज़रा तल्ख़ी-ए-दिल भी घोलें और कुछ देर यहाँ बैठ के पी लें रो लें हर तरफ़ एक पुर-असरार सी ख़ामोशी है अपने साए से कोई बात करें कुछ बोलें कोई तो शख़्स हो जी-जान से चाहें जिस को कोई तो जान-ए-तसव्वुर हो कि जिस के हो लें आह ये दिल की कसक हाए ये आँखों की जलन नींद आ जाए अगर आज तो हम भी सो लें