तमाम उम्र फ़क़त उस की जुस्तुजू करना तुम उस को याद भी करना तो बा-वज़ू करना ज़माना आप को ए'ज़ाज़ से नवाज़ेगा शफ़ीक़ लहजे में छोटों से गुफ़्तुगू करना वो अपने आप को अहल-ए-ज़बाँ समझते हैं ज़रा सिखा दे कोई उन को गुफ़्तुगू करना तुम इंतिज़ार के वा'दों के तीर बरसाओ हमारा काम है दिल को लहू लहू करना हिजाब हटने दे 'कशफ़ी' तू अज्नबिय्यत का फिर इस के बाद बिला-ख़ौफ़ तुम से तू करना