तसलसुल पाएमाली का मिलेगा सरीर-आरा ख़िज़ाँ है क्या मिलेगा चलो दुश्मन को सीने से लगा लें कहाँ इस शहर में अपना मिलेगा ख़राबा है कि दश्त-ए-नैनवा है कोई ज़ख़्मी कोई प्यासा मिलेगा मिरे लश्कर की मिट्टी दूसरी है सफ़-ए-आदा में वो भी जा मिलेगा नहीं बे-वज्ह इस गिर्दाब में हूँ कनार-ए-आब भी दरिया मिलेगा नहीं बे-सूद नाज़-ए-ग़म उठाना हिसाब-ए-दर्द है दूना मिलेगा 'अमीन'-अशरफ़ की है पहचान ये भी भरी महफ़िल में वो तन्हा मिलेगा