तसलसुल से गुमाँ लिक्खा गया है यक़ीं तो ना-गहाँ लिक्खा गया है मुकम्मल हो चुकी क़िरअत फ़ज़ा की परिंदे और धुआँ लिक्खा गया है मिरा दो पल ठहर कर साँस लेना सर-ए-आब-ए-रवाँ लिक्खा गया है उगाएगी सितारे अब ये मिट्टी ज़मीं पर आसमाँ लिखा गया है किताब-ए-ग़ैब पढ़ता जा रहा हूँ मिरा होना कहाँ लिक्खा गया है नहीं लिक्खा गया काग़ज़ पे कुछ भी फ़क़त आइंदगाँ लिक्खा गया है