तस्वीर-ए-ज़ुल्फ़-ओ-आरिज़-ए-गुलफ़ाम ले गया मुर्ग़ान-ए-क़ुद्स के लिए गुल-दाम ले गया दुनिया से दाग़-ए-ज़ुल्फ़-ए-सियह-फ़ाम ले गया मैं गोर में चराग़ सर-ए-शाम ले गया की तर्क मैं ने शैख़-ओ-बरहमन की पैरवी दैर-ओ-हरम में मुझ को तिरा नाम ले गया क्या क्या दिखाई सैर-ए-सफ़ेद-ओ-सियाह-ए-दहर किस किस तरफ़ को अबलक़-ए-अय्याम ले गया ए'जाज़ मैं ने रजअ'त-ए-ख़ुर्शीद का किया बाला-ए-बाम उस को सर-ए-शाम ले गया भटके फिरे दो अमला-ए-दैर-ओ-हरम में हम इस सम्त कुफ़्र उस तरफ़ इस्लाम ले गया चेहले के गुल चढ़ाए कोई मेरी क़ब्र पर मैं आरज़ू-ए-वस्ल-ए-गुल-अंदाम ले गया पिस्तान-ए-नौ-दमीदा ने मलवाए ख़ूब हाथ मैं दाग़-ए-हसरत-ए-समर-ए-ख़ाम ले गया दीदार दोस्तान-ए-वतन का दिखा दिया मुझ को अदम में अबलक़-ए-अय्याम ले गया पहना कफ़न तो कूचा-ए-क़ातिल मैं पाई राह का'बे में मुझ को जामा-ए-एहराम ले गया राह-ए-अदम में सैर-ए-चराग़ाँ नज़र पड़ी तुर्बत में दाग़-ए-ग़म दिल-ए-नाकाम ले गया दोज़ख़ में जल गया कभी जन्नत में ख़ुश रहा मर कर भी साथ गर्दिश-ए-अय्याम ले गया नफ़रत हुई दो-रंगी-ए-लैल-ओ-नहार से मैं सुब्ह-ओ-शाम उस को लब-ए-बाम ले गया ज़ेर-ए-ज़मीं ग़ुरूब हुआ आफ़्ताब आज तुर्बत में दाग़ बादा-ए-गुलफ़ाम ले गया तीर-ए-सितम से मिल के उड़ा जानिब-ए-अदम पर आप के ख़दंग से मैं दाम ले गया मैं जुस्तुजू-ए-कुफ़्र में पहुँचा ख़ुदा के पास का'बे तक उन बुतों का मुझे नाम ले गया साक़ी के पास वुसअत-ए-मशरब ने राह दी मैं कासा-ए-फ़लक एवज़-ए-जाम ले गया कुछ लुत्फ़ इश्क़ का न मिला जीते-जी 'मुनीर' नाहक़ का रंज मुफ़्त का इल्ज़ाम ले गया