तवील रात हो ऐसी किनारे भी न रहें हमारे साथ में चलते सितारे भी न रहें तलाश मेरी किसी रहगुज़र तलक जाए न जीत पाए अगर उस को हारे भी न रहें हवा उतार बदन मेरा और चमन से निकल ले चल उधर कि जिधर ये नज़ारे भी न रहें मुझे उजाड़ चुकी आँधियाँ पलट आईं है उन को फ़िक्र भला हम हमारे भी न रहें जिसे है जाना चला जाए उम्र भर के लिए ये रोज़ रोज़ के 'तेजस' ख़सारे भी न रहें