तय किया इस तरह सफ़र तन्हा एक हम एक रहगुज़र तन्हा कौन होता रफ़ीक़-ए-तीरा-शबी दिल जलाया है ता-सहर तन्हा ख़ैरियत पूछने को आई है ज़िंदगी मुझ को देख कर तन्हा आफ़त-ए-जाँ है वज़-ए-हम-सफ़री वक़्त की राह से गुज़र तन्हा धड़कनों का भी है अजब अंदाज़ दिल की वादी है किस क़दर तन्हा न मिला दर्द-आश्ना कोई कट गया दर्द का सफ़र तन्हा दश्त में अपनी ही तजल्ली के झिलमिलाया किया क़मर तन्हा साअ'तें देती ही रहीं आवाज़ ज़िंदगी चल पड़ी किधर तन्हा क़त्ल-गाह-ए-वफ़ा मिली ख़ाली 'हुर्मत' आए हमीं नज़र तन्हा