तेरे दामन की थी या मस्त हुआ किस की थी साथ मेरे चली आई वो सदा किस की थी कौन मुजरिम है कि दूरी है वही पहली सी पास आ कर चले जाने की अदा किस की थी दिल तो सुलगा था मगर आँखों में आँसू क्यूँ आए मिल गई किस को सज़ा और ख़ता किस की थी शाम आते ही उतर आए मिरे गाँव में रंग जिस के ये रंग थे जाने वो क़बा किस की थी ये मिरा दिल है कि आँखें कि सितारों की तरह जलने बुझने की सहर तक ये अदा किस की थी चाँदनी रात घने नीम तले कोई न था फिर फ़ज़ाओं में वो ख़ुशबू-ए-हिना किस की थी