तेरे दिल से उतर चुका हूँ मैं ऐसा लगता है मर चुका हूँ मैं अब मुझे किस तरह समेटोगे रेज़ा रेज़ा बिखर चुका हूँ मैं तेरी बे-ए'तिनाइयों के सबब ज़र्फ़ कहता है भर चुका हूँ मैं तुझ को सारी दुआएँ लग जाएँ अब तो जीने से डर चुका हूँ मैं एक ग़म और मुंतज़िर है मिरा एक ग़म से गुज़र चुका हूँ मैं तुझ को नफ़रत से ही नहीं फ़ुर्सत चाहतों मैं सँवर चुका हूँ मैं आईना अब नहीं है गर्द-आलूद रो चुका हूँ निखर चुका हूँ मैं ख़ुद से लड़ना बहुत ही मुश्किल है तेरी ख़ातिर ये कर चुका हूँ मैं अब तो बाहर निकाल पानी से देख अब तो उभर चुका हूँ मैं