तेरे जाने का कोई ग़म तो नहीं ख़ूब-रू इस जहाँ में कम तो नहीं इक तिरे वास्ते सभी छोड़ें और होगा वो कोई हम तो नहीं और मिल जाएँगे ये जाम-ओ-सुबू जाम तेरा भी जाम-ए-जम तो नहीं जो मबाहिस में क़ौल-ए-फ़ैसल हो तेरी बातों में ऐसा दम तो नहीं कुछ तो होगा मलाल खोने का देख तेरी भी आँख नम तो नहीं