तेरे जल्वों को रू-ब-रू कर के तुझ से मिलते हैं हम वुज़ू कर के तेरे कूचे से लौट आए हम अपनी आँखें लहू लहू कर के चाक-दामन है चाक रहने दे क्या करेगा उसे रफ़ू कर के तेरे लहजे में कैसा जादू है हम भी देखेंगे गुफ़्तुगू कर के अपनी दुनिया लुटाए बैठा हूँ ये मिला तेरी जुस्तुजू कर के खो दिया है चराग़ भी 'अफ़ज़ल' चाँद तारों की आरज़ू कर के