तेरे मिलने की दुआ की जाए दर्द की कुछ तो दवा की जाए ख़ामुशी ओढ़ रहा हूँ पल-पल ख़ाली बर्तन की सदा की जाए शाख़ ने ओढ़ लिए हैं पत्ते आओ ख़ुद पर भी क़बा की जाए चाँद को जिस से हया आती है जज़्ब क्या उस की अदा की जाए ख़ुश्क सहरा में कहाँ है पानी दफ़्न जंगल में अना की जाए