तेरे नालों से कोई बदनाम होता जाएगा तू भी ऐ दिल मोरिद-ए-इल्ज़ाम होता जाएगा मुतमइन हूँ मैं कि हो जाएगा सामान-ए-सुकूँ दर्द बढ़ता जाएगा आराम होता जाएगा वज्ह-ए-नाकामी न हों ऐ दिल तिरी बे-सब्रियाँ सब्र से ले काम ख़ुद हर काम होता जाएगा छोड़ दे ऐ दिल तमन्ना ज़िंदगी की छोड़ दे तू हलाक-ए-गर्दिश-ए-अय्याम होता जाएगा हम तही-दस्तान-ए-क़िस्मत मर गए प्यासे तो क्या मय-कदे में यूँही दौर-ए-जाम होता जाएगा इल्तिफ़ात-ए-नाज़ जो मख़्सूस था मेरे लिए क्या ख़बर थी रफ़्ता रफ़्ता आम होता जाएगा ऐब है 'शाकिर' हर इक के सामने अर्ज़-ए-हुनर नाम की ख़्वाहिश में तू बदनाम होता जाएगा