तेरे सिवा निगाहों में ऐ यार कौन है हैराँ हूँ मैं कि तालिब-ए-दीदार कौन है हर क़तरा अश्क-ए-शौक़ है हर ज़र्रा चश्म-ए-शौक़ क्या पूछते हो तालिब-ए-दीदार कौन है सब हसरतों को राज़-ए-मोहब्बत बना चुका अब सोचता हूँ लाएक़-ए-इज़हार कौन है 'नातिक़' किसी को दे दो दिल-ए-ज़ार नज़्र में इस जिंस-ए-बे-बहा का ख़रीदार कौन है