तेरी मख़मूर चश्म ऐ मय-नोश जिन ने देखी सो हो गया ख़ामोश कई फ़ाक़ों में ईद आई है आज तू हो तो जान हम-आग़ोश अपने तईं सर पे हाथ जो न रखे उस के सर पे न मारिए पा-पोश इश्क़ में मैं तिरे हुआ मजनूँ किस को है अक़्ल और कहाँ है होश पालकी भी मुझे ख़ुदा ने दी तू भी 'ताबाँ' रहा मैं ख़ाना-ब-दोश