तीर-ओ-तलवार से नहीं होता काम हथियार से नहीं होता घाव भरता है धीरे धीरे ही कुछ भी रफ़्तार से नहीं होता खेल में भावना है ज़िंदा तो फ़र्क़ कुछ हार से नहीं होता सिर्फ़ नुक़सान होता है यारो लाभ तकरार से नहीं होता उस पे कल रोटियाँ लपेटे सब कुछ भी अख़बार से नहीं होता