थी हम-आग़ोशी मगर कुछ भी मुझे हासिल न था वो इक ऐसा लम्स था जिस में बदन शामिल न था रेत की दलदल मिली मुझ को समुंदर पार भी मैं वहाँ उतरा जहाँ साहिल कभी साहिल न था वो तो इक साज़िश थी मेरे ख़ून की मेरे ख़िलाफ़ जिस के सर इल्ज़ाम आया वो मिरा क़ातिल न था हम ने काटे पेड़ तो सायों की याद आने लगी लेकिन अब हर्फ़-ए-नदामत से भी कुछ हासिल न था सर पे आ गिरता है तकमील-ए-मोहब्बत का पहाड़ वर्ना इज़हार-ए-तमन्ना तो कोई मुश्किल न था पर लगा कर उड़ गए आख़िर मिरी नींदों के साथ प्यार के वो ख़्वाब जिन का कोई मुस्तक़बिल न था उन से मिल कर ये भी देखी शो'बदा-बाज़ी 'क़तील' धड़कनें मौजूद थीं सीने में लेकिन दिल न था