तिरा ग़ुरूर-ए-अबस इंतिहाई सत्ह पे है बुलंदी पर भी वही है जो खाई सत्ह पे है फलाँग सकता हूँ जितना है दो दिलों के बीच मगर जो फ़ासला जुग़राफ़ियाई सत्ह पे है मुझे नहीं है ज़रा रंज तह-नशीनी का मुझे ख़ुशी है चलो मेरा भाई सत्ह पे है हम ऐसे देखने वालों का कोई दोष नहीं कि ज़ेर-ए-सत्ह कसाफ़त सफ़ाई सत्ह पे है ये किस हुनर से किया तुम ने ख़ुद को सैर ऐ दोस्त कि दूध पी भी लिया और मलाई सत्ह पे है