तिरा विसाल है बेहतर कि तेरा खो जाना न जागना ही मयस्सर मुझे न सो जाना ये सब फ़रेब है मैं क्या हूँ मेरी चाहत क्या जो हो सके तो मिरी तरह तू भी हो जाना हँसी में ज़ख़्म छुपाने का फ़न भी ज़िंदा है इसी ख़याल से सीखा न मैं ने रो जाना उदास शहर में ज़िंदा-दिली की क़ीमत क्या बजा है मेरी हँसी का ग़ुबार हो जाना हसीन तुझ से ज़ियादा भी हैं ज़माने में बुरा है आँख का पाबंद-ए-रंग हो जाना