तिरे अलावा कोई दूसरा मिला ही नहीं सो तेरे बा'द बहुत देर मैं जिया ही नहीं इसी लिए तो किसी काम का नहीं हूँ मैं जो काम करने का था वो कभी किया ही नहीं जहान वाले हमें मस्त कह रहे हैं तो क्या कि अपना दर्द किसी और से कहा ही नहीं हमारे बारे में कैसे तुम्हें ख़बर होती तुम्हारे बा'द ज़माने से राब्ता ही नहीं जो मेरा हाल तिरे बा'द है कटे हुए हर्फ़ बताना चाहता हूँ कोई पूछता ही नहीं सड़क पे हैं कि नहीं हैं अजीब उलझन है हमारी सम्त कोई शख़्स देखता ही नहीं बहुत से लोग हैं लेकिन ख़ुशी से तन्हा हूँ किसी का साथ ज़माने मुझे रवा ही नहीं इसी लिए तो बदन तार-तार है मेरा जो ज़ख़्म लग गया 'फ़ाएज़' कभी सिया ही नहीं