तीसरी आँख खुलेगी तो दिखाई देगा और कै दिन मिरा हम-ज़ाद जुदाई देगा वो न आएगा मगर दिल ये कहे जाता है उस के आने का अभी शोर सुनाई देगा दिल का आईना हुआ जाता है धुँदला धुँदला कब तिरा अक्स इसे अपनी सफ़ाई देगा ख़ुश था मैं चेहरे पे आँखों को सजा कर लेकिन क्या ख़बर थी मुझे कुछ भी न सुझाई देगा अपने ही ख़ून में आलूदा किए बैठा हूँ कौन इस हाथ में अब दस्त-ए-हिनाई देगा मौत भी दूर बहुत दूर कहीं फिरती है कौन अब आ के असीरों को रिहाई देगा बेचने निकला हूँ 'अल्वी' मिरा दीवान मगर जानता हूँ मैं कोई पैसा न पाई देगा