तो ही न सुने जब दिल-ए-नाशाद की फ़रियाद फिर किस से करें हम तिरी बे-दाद की फ़रियाद तेशे की वो खट-खट का न था ग़लग़ला यारो की ग़ौर तो वो थी दिल-ए-फ़रहाद की फ़रियाद कल रात को उस शोख़ की जा कर पस-ए-दीवार इक दर्द-ए-फ़राहम ने जो बुनियाद की फ़रियाद सुनते ही कहा उस ने कि हाँ देखो तो उस जा किस ने ये बिलकती हुई ईजाद की फ़रियाद फ़रियाद 'नज़ीर' आगे ही उस के है बहुत ख़ूब वाँ देखने का देखना फ़रियाद की फ़रियाद