तो मिरी ज़िंदगी बनोगी तुम मर गया मैं तो क्या रहोगी तुम नहीं आदत कोई भली तुम में मुझे ज़ाहिर है क्यूँ गिनोगी तुम वो जो ज़ोहरा है, है मिरी देवी जान जल जल के जल मरोगी तुम क्या सुलगता हूँ क्या दहकता हूँ अब कहो! मुझ से कब मिलोगी तुम मिरी आदत है काट खाने की मिरे बोसों को क्या सहोगी तुम मैं जो हूँ मैं हूँ सब नहीं हूँ मैं वो जो वो सब जिन्हें पढ़ोगी तुम